सुशील बाल्याण ही जाट संस्था के ईपीएफ घोटाले के पहले आरोपी : चंचल नांदल


रोहतक, 18 जनवरी। जाट शिक्षण संस्था के आजीवन सदस्यों ने एडवोकेट चंचल नांदल की अध्यक्षता में आज दोबारा बैठक करके इस बात का खंडन किया है कि छोटूराम बहुतकनीकी के कार्यवाहक प्रिंसिपल सुशील बाल्यान ईपीएफ घोटाले में पाक-साफ हैं। यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि 31 मई, 2012 में इन्हीं के द्वारा सबसे पहले पत्र क्रमांक 164/अकाऊंट्स/सीपी के द्वारा पहली बार ईपीएफ की राशि अपने हस्ताक्षर खुद ही सत्यापित करके ईपीएफ सम्बन्धित खातों में न मंगवाकर किन्हीं और सदस्यों के बचत खातों में मंगवाई गई। इसके अलावा इन पर तीन साल की वेतन वृद्धि समेत पीएचडी करने के लिए छुट्टियां लेकर भी पीएचडी पूरी न करके वापिस तत्कालीन प्रबंध समिति से मिलकर, गलत तथ्य पेश करके दोबारा सर्विस ज्वाइन करने के भी आरोप हैं, जोकि सीधे-सीधे सरकार के पैसों का दुरूपयोग है।
चंचल नांदल ने कहा गबन मामले की रिर्पोट जमा होने के तकरीबन 18 महीने बाद जब सुशील बाल्यान जिस क्लीन चिट की बात कर रहे हैं वो अपने आप में इन्कवायरी कमेटी व प्रशासक की भूमिका पर संदेश पैदा करती है। हम जाट शिक्षण संस्था के वर्तमान प्रशासक एवं एडीसी रोहतक, गृह एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज से मांग करते हैं कि इस चुनिंदा दोषियों पर कार्यवाही करने की बजाए विस्तृत जांच विजिलेंस या महानिदेशक कार्यालय के वित्त विभाग द्वारा करवाकर दोषियों को सजा दिलवाकर कर्मचारियों के भविष्य निधि धनराशि जोकि षड्यंत्र के तहत लूटी गई है को ब्याज समेत वापिस दिलवाया जाये।
चंचल नांदल ने कहा कि जब तक सम्पूर्ण कार्यवाही न हो तब तक कार्यवाहक प्रिंसिपल को बदलने के महानिदेशक तकनीकी शिक्षा के आदेशों की पालना भी हो। अमीर सिंह गिल ने कहा कि अभी तक दूसरे आरोपियों को तो चार्जशीट भी नहीं दी गई है एवं सुशील बाल्यान को क्लीन चिट देने की बात अपने आप में संदेहास्पद है।
बैठक में मुख्य रूप से देवराज नांदल, रणधीर सिंह खासा, रणबीर नांदल, सुखबीर सिंह दहिया, अधिवक्ता हिमांशु राठी, विरेन्द्र दलाल, अशोक नांदल आदि आजीवन सदस्य मौजूद रहे।